ग़ज़ल
हम यादों के खजाने से ही रिश्ता जोड़ लेते हैं
अगर दोराहे पर अटके तो रिश्ता तोड़ लेते हैं
समझना चाहते हैं जो उन्हें समझाया जाता है
मगर कुछ तो बहाने से भी नाता तोड़ लेते हैं
मियां बालों को रंगते हैं दिखाते हैं सफेदी भी
सलीके से वह माथे पर कोई लट छोड़ देते हैं
वो पारंगत है लिखने में कहानी किस्से रूमानी
अजब अंदाज है उनका गजब का मोड़ देते हैं
चिता जलना शुरू होते जो बेटे आग देते हैं
गिराते देते हैं पानी को घडे को फोड़ देते
— डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव