ग़ज़ल
मुहब्बत में इतना जो तड़पाओगे तुम तो अपने किए की सज़ा पाओगे तुम कहीं भी रहूँ दिल में ठानूँगी जिस
Read Moreबदल गया साल बदल गई तारीख कैलेंडर भी बदल गया और कुछ तो नहीं बदला क्या हम तुम बदल सके
Read Moreआज़ादी की धुन में हमने कितने साल गुज़ारे हैं अंग्रेज़ों से टक्कर ली है हम हिम्मत कब हारे हैं गोरों
Read More(आज की दुनिया में हर कोई बिज़ी है,ऐसे में दादी की गोद में ही सुकून मिलता है ये कविता संयुक्त
Read Moreवह देखो जा रहा है मेरे देश का बचपन हाथ में कटोरा लिए देश के बुढ़ापे से भीख मांगता हुआ
Read More….. माँ को समर्पित कुछ हाइकु…… पुनरावृति जीवन के पलों की बनी माँ मैं भी वही सम्बल वहीँ विश्वास तुम्हारा
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