तुम्हारी आंखें
जब भी पलकें बन्द करती हूँ आंखों के भीतर तुम्हारी आंखें दिखाई पड़ती हैं तुम्हारी आंखें सारी दुनिया भुला कर
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Read Moreबदल गया साल बदल गई तारीख कैलेंडर भी बदल गया और कुछ तो नहीं बदला क्या हम तुम बदल सके
Read Moreआज़ादी की धुन में हमने कितने साल गुज़ारे हैं अंग्रेज़ों से टक्कर ली है हम हिम्मत कब हारे हैं गोरों
Read More(आज की दुनिया में हर कोई बिज़ी है,ऐसे में दादी की गोद में ही सुकून मिलता है ये कविता संयुक्त
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