कहानी – यह कैसा दहेज
बरसों बाद मेरा पंजाब जालंधर जाना हो रहा था ,मैं कोई अपनी मर्जी से वहां नहीं
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Read Moreतुम दैदीप्यमान चमकती अनुपम वाटिका, मैं नन्हा सा दीपक हूं मटमैली माटी का । तुम आए तो
Read Moreघास पानी जंगल देख मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं मुस्कुराते हैं ,मुझे दुलारते हैं ; मैं बढ़ जाता हूं
Read Moreआज हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं, जहाँ विश्व एक बिंदू में सिमट गया है। इस बिंदू के आसपास
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