विष
ग्लूकोज़ की बोतल से टिप-टिप कर बूंदे टपक रही थीं। कामाक्षी का पूरा ध्यान ख़ाली होती बोतल पर था। बोतल
Read Moreमेरा दफ़्तर एक चिड़ियाघर है। यह मैं अब तक नहीं जानता था। अभी-अभी मुझे पता चला है और मैं सदमे
Read Moreसांवली सी लड़की दु:खी थी। इतनी दु:खी थी कि बस डिप्रेशन में चली गई थी। उसके माता-पिता; अरे! उसके माता-पिता
Read Moreमाथे पर पड़े बलों ने कुछ और ही बताया और वह छवि मिटा दी जब तू था मुस्कुराया क्यूँ
Read Moreप्रेम कहानियाँ सब पीछे रह जाती हैं जिंदगी बस आगे बढ़ जाती है कोई गली, कोई गुलाब कोई चुनरी कोई
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