लघुकथा – आत्मा की तृप्ति
“आज श्राद्ध कर्म संपन्न हो गया। ब्राह्मण भोज के बाद हित कुटुंबों ने भी भोज में शरीक होकर अपना फर्ज
Read More“आज श्राद्ध कर्म संपन्न हो गया। ब्राह्मण भोज के बाद हित कुटुंबों ने भी भोज में शरीक होकर अपना फर्ज
Read Moreदोपहर का समय था। सुनसान सड़क पर एक अधेड़ भिखारी को जाते देखकर अपने घर के बरामदे में बैठे पतिदेव
Read More“यह क्या है दादू? रंग उखड़ गया- सा लगता है और जंग भी लग गई है। “इसे लेटर बॉक्स कहते
Read Moreअजय बाबू सिग्नल की बत्ती के हरी होने का इंतजार कर रहे थे। गाड़ी की पिछली सीट पर बैठा उनके
Read Moreपाती तुम्हारे प्यार की दिल में संजोए रखी है; ऋतुराज- सा चिरहरित तुम्हारा निर्मल प्यार तुम्हारे मीठे बोल तुम्हारी आँखें
Read Moreसास के कहने पर बहू कन्या पूजन के लिए मंदिर पहुँची और एक प्यारी-सी आठ साल की बच्ची को दंडवत
Read More“रंडी, साली को जवान बेटे की भी चिंता नहीं।” सत्तर साल के बूढ़े की जुबान कैंची समान चल रही थी।
Read Moreकवि सम्मेलन में दर्जनों कवि कवयित्री उपस्थित थे। उनमें से कई नामचीन साहित्यकार भी थे। मंच पर जब एक एक
Read More“आपके परिवार में पाँच वोटर हैं। ये रहे पंद्रह सौ रुपये। मुखिया जी को ही वोट देना है। दूसरी बार
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