मन की व्यथा
मन की व्यथा मन में ही रखती हूं किसी से बिन बताए खुद ही सहती हूं कितना भी लब पर
Read Moreमन की व्यथा मन में ही रखती हूं किसी से बिन बताए खुद ही सहती हूं कितना भी लब पर
Read Moreलो सौप दिया अब अपने आप को तेरे हवाले मेरे रूह मे तु जो बसते हो हर इक सॉस के
Read Moreतुझे पाना मेरे किस्मत में नहीं पास तो दूर तू ख्वाब में भी नहीं मानती हूं मुझसे बहुत गलती हुई
Read Moreएक दिन दादा जी गये बाजार वहॉ से लाये तोते चार साथ मे दो पिंजडा लाये घर ला कर मुझे
Read Moreतुझे पाने की उम्र भर मेरी चाहत बनी रहे तुमसे मिलने की हमेशा ये आदत बनी रहे जितने गिले शिकवे
Read Moreइतना दर्द तो मुझे ये सर्द के हवा भी नही देते जितना की तेरी यादे रह रहकर दर्द देती है
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