कविता

सुनते हो।

सुनते हो तुम
कुछ पल और ठहर जाओ
मिले हो वर्षों बाद
कर लो हमसे कुछ बात
गिले शिकवे छोडकर
आओ हो जाये साथ
सूर्य के गर्मी को छोड
चले हम चॉद के शीतल
चॉदनी के छाव
वही हम कर लेगे
आपस मे मुलाकात
चॉद को साक्षी मानकर
कर लेंगे हम वादा
रहेंगे हम साथ साथ
दुःख हो या सुख
झेलेंगे एक साथ
एक अच्छे दोस्त होने का
बनायेंगे अपना अलग पहचान
छोडेगे न साथ कभी
हरदम होगें आस-पास|

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४