क्या लिखूं ……
क्या लिखू क्या ना लिखूं , मेरी कलम ही रुक जाती | जब से तुम बिछड़ी , लिखना बंद सी
Read Moreक्या लिखू क्या ना लिखूं , मेरी कलम ही रुक जाती | जब से तुम बिछड़ी , लिखना बंद सी
Read Moreजेठ की धूप सही नहीं जाती | चैन न मिलता भरी दुपहरी | गर्मी से ब्याकुल जड़ -चेतन | ठंढी
Read Moreकिताबें कुछ कहना चाहती हैं | किताबों में चिड़ियाँ चहचहाती हैं | किताबों में खेतियाँ लहलहाती हैं | किताबों में
Read Moreलड़कियों पर क्यों होते अत्याचार , मिलती है प्रताड़ना हर कदम पर , गलती चाहे जिसकी भी हो पर ,
Read Moreभ्रष्टाचार का तो अंत ही न दिखता , जहां देखो वहाँ मूहँ फाड़े खड़ा, मैंने भी आज वही देखा ,
Read Moreतुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। हमें छोड़ कर आखिर कहाँ जाओगे। मैं आश लगाये बैठीं हूँ, कब मेरे
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