लघुकथा – आँसू
रोहित अपनी मम्मी नेहा से बोला “आपको मेरे दोस्तों के सामने हिंदी बोलने की क्या जररूत थी आपने मेरी उनके
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Read Moreदीपक बन मैं जलता रहा, अधंकार को दूर करता रहा, जिंदगी की उलझनों में उलझा रहा, हर पल एक नई
Read Moreमाँ सरस्वती सब पर कृपा बरसाती हो, मन से बुरे विचार मिटाकर उत्तम विचार हो, सबका मन सुंदर हो सब
Read Moreमैं किसी के जैसी नहीं बनना चाहती हूँ जैसी हूँ खुद को वैसे ही पसन्द करती हूँ किसी की राय
Read Moreदुल्हन सी सज गयी, अवध स्वागत करने को तैयार, प्रभु राम ,लखन,सिया सँग , हनुमान सँग मंदिर में विराजेंगे, हर
Read Moreजाता हुआ साल बहुत कुछ सिखा गया, कैसे रहे अपनों के साथ यह बता गया, कुछ उलझन थी मन में
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