कविता – खुद से पहचान
मैं किसी के जैसी नहीं बनना चाहती हूँ जैसी हूँ खुद को वैसे ही पसन्द करती हूँ किसी की राय
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Read Moreदुल्हन सी सज गयी, अवध स्वागत करने को तैयार, प्रभु राम ,लखन,सिया सँग , हनुमान सँग मंदिर में विराजेंगे, हर
Read Moreजाता हुआ साल बहुत कुछ सिखा गया, कैसे रहे अपनों के साथ यह बता गया, कुछ उलझन थी मन में
Read Moreचलों चले सफर पर जीवन को सुंदर बनाते है जो समय बीत गया उसको भूलकर नई शुरुवात करते है जो
Read Moreजब देखती हूँ किसी छोटे बच्चों को श्रम करते , मन अंदर से दुखी हो उठता यह कैसी विडम्बना ,
Read Moreदेश की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है इसकी खातिर प्राण भी जाएं कोई दुख नहीं है हम नौजवान है मनमौजी
Read Moreऋचा और मनोज की मुलाकात कॉलेज में हुई दोनों ही एक ही क्लास बी,कॉम की तीसरी साल की पढ़ाई कर
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