कविता

ज़िंदगी

ज़िंदगी में जरा सा दुख क्या आया,

तुम इतनी जल्दी क्यों घबराते हो,

क्यों नहीं करते अपने कर्म पर भरोसा,

इतना क्यों आंसू तुम बहाते हो

थोड़ा संयम रखो अपने अस्तित्व को पहचानो,

जिस प्रभु तुम्हें दिया मानव जीवन,

तुम कोई साधारण नहीं अपने को परखो,

अपनी प्रतिभा को तुम निखरने दो,

वक्त को मत तुम बर्बाद मत  करो,

लोगों का काम बस कहना है,

तुम अपने काम की तरफ रूख करो ,

तुम खास हो यह समझ लो,

दुख से बाहर निकलकर तो देखो,

हर जगह खुशी ही खुशी मिलेगी,

जिंदगी भी मुस्कराकर स्वागत करेंगी,

मंजिल की तरफ कदम बढ़ाकर तो देखो,

सफर में कहीं न कहीं तो जीत  मिलेगी[….]

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश