वतन के नाम कर जाऊं
मैं अपनी चंद सांसों को, वतन के नाम कर जाऊं। मैं अगले सात जन्मों तक, जन्म भारत में ही पाऊं।
Read Moreमैं अपनी चंद सांसों को, वतन के नाम कर जाऊं। मैं अगले सात जन्मों तक, जन्म भारत में ही पाऊं।
Read Moreमृगतृष्णा से भरी हुई है, लोभ, मोह, और काम की गागर, इच्छाओं के वशीभूत हम,जीवन आकांक्षाओं का सागर। बचपन में
Read Moreलोभ,मोह,काम,क्रोध का किया नहीं विरोध, बुराई के विरोध में क्यों रावण जला रहे हो? द्वेष और पाखण्ड में लिप्त हुआ
Read Moreतीव्र गति से घट रहे संसाधन सर्वत्र, जनसंख्या वृद्धि करे यत्र तत्र सर्वत्र। यत्र तत्र सर्वत्र शहर हैं भरे ठसाठस,
Read Moreअनेक रूप में इस बसुधा पर, लेकर आई जिम्मेदारी। पुरुष प्रधान जगत है सारा, लेकिन नर से श्रेष्ठ है नारी।
Read Moreप्रेम दिवस को मनाने वालो, एक नजर मां-बाप पे डालो। वेलेंटाइन डे विस्मृत करके, अब बलिदानी दिवस मना लो। हिन्दुस्तानी
Read Moreहम चैन से सोते हैं,वो काम पे होते हैं। निज दर्द छिपाकर के,तन्हाई में रोते हैं। वो जिम्मेदारी के ,हर
Read Moreहे! कर्मवीर हे! बलिदानी, हमसे क्यों मुंह मोड़ लिया। कोई खता हुई क्या पृथ्वी से, जो स्वर्ग से नाता जोड़
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