कवितापद्य साहित्य

भारत माता के वीर पुत्र को शत-शत नमन

हे! कर्मवीर हे! बलिदानी,

हमसे क्यों मुंह मोड़ लिया।

कोई खता हुई क्या पृथ्वी से,

जो स्वर्ग से नाता जोड़ लिया।

पृथ्वी का हृदय व्याकुल है,

विचलित तुम बिन है नील गगन।

भारत माता के वीर पुत्र,

तुमको मेरा शत-शत है नमन।

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश