गीत/नवगीत

जीवन

जीवन है झूठी अभिलाषा,
कभी दर्द है कभी निराशा।
किसी का जीवन पैसेंजर है,
किसी का जीवन एक्सप्रेस है।
लेकिन चलते ही जाना है,
क्योंकि जीवन एक रेसहै।
राजा, रंक और धन दौलत,रंग मंच का एक तमाशा।
जीवन है झूठी………।
किसी का जीवन हर्षमयी,
किसी का है संघर्षमयी।
किसी की किस्मत महल में सोती ,
किसी की है फुटपाथ पे रोती।
किसी का जीवन भूख से मरना,
किसी का जीवन स्वाद से चरना।
जीवन हार जीत का पासा,
जीवन है झूठी………..।
किसी का जीवन बलिदानी है,
किसी का जीवन अभिमानी है।
किसी के घर में माया बरसे,
कोई सदा काम को तरसे।
जीवन है सपनों का मेला,
आँख खुली तो खतम है खेला।
जीवन है ईश्वर की भाषा,
जीवन है झूठी…………।
— प्रदीप शर्मा।

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश