कविता
मैं एक ऐसी रात हूँ जिसकी कोई भोर नहीं एक लंबी ख़ामोशी हूँ जिसमें कोई शोर नहीं सिमटी हूँ ख़ुद
Read Moreकुछ यूँ वक़्त का पहिया चलता गया कोई सूरज उगा, तो कोई ढलता गया हम उसूलों का दामन थामे हुए
Read Moreशाम-सवेरे, आगे-पीछे तेरे घूमता रहता ये पागल दिल मेरा, हाँ पागल दिल मेरा तेरे आने में आना और तेरे जाने
Read Moreमुझे ढेरों ख़्वाब दिखाने वाले मेरे साथ दुनिया बसाने वाले मिले कितने नज़र चुराते हुए पर तुम मेरा दिल चुराने
Read Moreअद्भुत था दृश्य जो देख लिया इस जीवन में यह भी होना था मेरे प्रिय राम विराजे मन्दिर में नैनों
Read More