जैसे अरि धार तलवार पे धरे रोज-
बार बार नैन से कटार मार मार के तेज धार कजरे की रोज वो करते हैं! तान तान अपनी कमान
Read Moreबार बार नैन से कटार मार मार के तेज धार कजरे की रोज वो करते हैं! तान तान अपनी कमान
Read Moreशाम को यूँ लगा सामत आ गयी देखते देखते बदली सी छा गयी चमकी विजलियां गर्जना खूब हुई सोंच शैलाब
Read Moreमरहम तेरा क्या करूँ घाव सारे भर गए डेरा खाली हो गया दर्द सारे डर गए मझधार में छोंड़ दिया
Read Moreमानवता को कुचले हो चोरी से बहार निकले हो संस्कार सब झांक रहे हैं जान बूझ कर फिसले हो कुचक्र
Read Moreबस! ऊंगली ही ये तेरी! जो सबको राह दिखाती है! बस तेरी ऊंगली यही- हर सरकार बनाती है। क्यों गिला
Read Moreअस्त्र शस्त्र सब धरे रह गये, कुछ भी काम न आया परग्रहों पर जाने वाला, घर से निकल न पाया
Read Moreवक्त कितना भी बुरा हो, गुजर जाना ही होता है। हर जख्म की फितरत में, भर जाना ही होता है।
Read Moreरात की बेहोशी का तुम, नींद जैसा नाम न दो ग़म सारे गायब हो जायें, एैसा कोई जाम न दो
Read Moreअस्त्र शस्त्र सब धरे रह गये, कुछ भी काम न आया परग्रहों पर जाने वाला, घर से निकल न पाया
Read Moreएक बहुत ही प्रचलित कहावत है कि- जो दूसरों के लिये गढ्ढा खोदता है तो खुद ही गढ्ढे में गिरता
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