संस्कार सब झांक रहे हैं
मानवता को कुचले हो चोरी से बहार निकले हो संस्कार सब झांक रहे हैं जान बूझ कर फिसले हो कुचक्र
Read Moreमानवता को कुचले हो चोरी से बहार निकले हो संस्कार सब झांक रहे हैं जान बूझ कर फिसले हो कुचक्र
Read Moreबस! ऊंगली ही ये तेरी! जो सबको राह दिखाती है! बस तेरी ऊंगली यही- हर सरकार बनाती है। क्यों गिला
Read Moreअस्त्र शस्त्र सब धरे रह गये, कुछ भी काम न आया परग्रहों पर जाने वाला, घर से निकल न पाया
Read Moreवक्त कितना भी बुरा हो, गुजर जाना ही होता है। हर जख्म की फितरत में, भर जाना ही होता है।
Read Moreरात की बेहोशी का तुम, नींद जैसा नाम न दो ग़म सारे गायब हो जायें, एैसा कोई जाम न दो
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Read Moreएक बहुत ही प्रचलित कहावत है कि- जो दूसरों के लिये गढ्ढा खोदता है तो खुद ही गढ्ढे में गिरता
Read Moreहर दिन जिन्दगी तेरा एक पत्ता टूट रहा। तेरे संग चलकर एक एक दिन छूट रहा।। काँटे ही बिछे हैं
Read Moreसोंचने वाली बात यह है कि जब देश के प्रधानमंत्री धारा 370 और 35ए को हटा सकते हैं तो देश
Read Moreसरकार की नौकरी तो सभी करना चाहते हैं! फिर चाहें भी क्यों ना सरकार भी अपने कर्मचारियों को अपनी औलाद
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