कुण्डली/छंद

जैसे अरि धार तलवार पे धरे रोज-

बार बार नैन से कटार मार मार के
तेज धार कजरे की रोज वो करते हैं!

तान तान अपनी कमान खींचते हैं-
मार के सबको मौज वो करते है!

मन का मयूर जब नाचता है बदली में-
तीर मार के ओ तभी दम भरते हैं!

जैसे अरि धार तलवार पे धरे रोज-
ऐसे ही (राज) ओ रोज संवरते हैं!

रणभूमि शर्मायी कुरुक्षेत्र सहमा सा है-
अणु परमाणु अब झरोखों से निकरते हैं!

राजकुमार तिवारी (राज)
बाराबंकी उत्तर प्रदेश

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782