जैसे अरि धार तलवार पे धरे रोज-
बार बार नैन से कटार मार मार के
तेज धार कजरे की रोज वो करते हैं!
तान तान अपनी कमान खींचते हैं-
मार के सबको मौज वो करते है!
मन का मयूर जब नाचता है बदली में-
तीर मार के ओ तभी दम भरते हैं!
जैसे अरि धार तलवार पे धरे रोज-
ऐसे ही (राज) ओ रोज संवरते हैं!
रणभूमि शर्मायी कुरुक्षेत्र सहमा सा है-
अणु परमाणु अब झरोखों से निकरते हैं!
राजकुमार तिवारी (राज)
बाराबंकी उत्तर प्रदेश