नई चेतना भाग –११
धनिया अमर के कदमों से लिपटी बस रोये जा रही थी और अमर ! अमर की अवस्था तो उसे देखते
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Read Moreअमर स्टेशन से निकल कर शीघ्र ही चौराहे पर पहुँच गया । चार रास्ते चार दिशाओं की तरफ जा रहे
Read Moreअमर रात के उस घने अँधेरे में आगे बढ़ता जा रहा था । चलते चलते सड़क पर वह रिक्शा या
Read Moreनारायण की बातों से अमर को थोड़ी राहत महसूस हुयी । वैसे ही जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल
Read Moreअमर पसीने से लथपथ हो चुका था । उसके कदम अब डगमगा रहे थे । हिम्मत जवाब दे रही थी
Read Moreआता है फिर याद बचपन सुहाना वो बारिश के पानी में कश्ती बहाना कभी खेलना कभी पढ़ना पढ़ाना वो छुट्टी
Read Moreयाद आता है मुझे गुजरा जमाना हम भी बांके से नौजवान सजीले थे तुम भी कुछ कम नहीं थी ऐ
Read Moreतान के सीना ‘ कदम मीलाके ‘ चले वतन के रखवाले देश की खातिर जीनेवाले ‘ देश प्रेम के मतवाले
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