Author: पी. रवींद्रनाथ

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सामाजिक चिंतन

मातापित्रोर्मलोद्भूतं मलमांसमयं वपुः। त्यक्त्वा चांडालवद् दूरं ब्रह्मीभूय कृती भवः।। (विवेकचूड़ामणि दूसरा भाग, श्लोक २८७) भगवद्गीता, उपनिषत् आदि धर्म ग्रंथों को

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