सच के आईने में…
/ सच के आईने में.. / हाँ, गंदे हैं वे मट – मैले भरे रहते हैं बदबू आती है जिनके
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Read Moreजीना है तो सीखना है बहुत बड़ी बेमतलबी है यह दुनिया जब हम चुप रहते हैं तो अन्याय का शिकार
Read Moreबेकार है सारी जिंदगी उसकी अपने आपमें रहना, अपने आपको समझना सरल नहीं है, सबको मनुष्य के उस दौड़- धूप
Read Moreमृत्यु नहीं हुई मेरी शव नहीं हूँ मैं एक प्यास है, जिंदगी का अहसास है वाद है मेरे अंदर अपने
Read Moreहर जगह हम एक जैसा चल नहीं पाते कि रास्ते में कंकड – पत्थर, काँटे भी होते हैं रास्ता हर
Read Moreमनुष्य को चलाती है भूख और उससे बढ़कर चलाती है प्यास अपने अनुभव के बल पर बहुत कुछ सीखता है
Read Moreअगर मैं चलता हूँ तो कुछ लोग हंसने लगे, रूकता हूँ कहीं अशक्त तो रास्ते में पत्थर फेंकने लगे यदि
Read Moreसमाज में सभी लोग एक जैसे नहीं होते हैं। हरेक की अपनी विशिष्टता होती है। वह अपनी विशिष्टता की वजह
Read Moreजाति मत पूछो धर्म से मत देखो प्रांतीय भावना मत जोड़ो मानवता की हैं वह उस महान मूर्ति को शत
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