कविता

/ हम और हमारी दुनिया /

हर जगह हम
एक जैसा चल नहीं पाते
कि रास्ते में
कंकड – पत्थर, काँटे भी होते हैं
रास्ता हर समय
साफ़ नहीं होता
कहीं उतार है तो कहीं चढ़ाव
रूक रूककर चलना पड़ता है हमें
कभी रात की अंधेरे में,
कभी दिन के उजाले में
जिंदगी एक यान है
जाने – अनजाने से
एक दूसरे के साथ अभियान है।

अलग की दुनिया में
अंतरंग की पुकार हम सुनते हैं
विशाल शून्य के आकाश में
असलियत का अहसास कराने में
एक दूसरे के साथ
हर साँस में चलते हैं
जहाँ हम बोल नहीं पाते,
वहाँ हमारे अक्षर बोलते हैं
समता स्थापित करने में
अपना प्राण जोड़ते हैं
जग के विशाल तत्व में
एकता के सूत्र में बाँधते हैं।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।