ग़ज़ल
जिन्दगी भर ये उठाता रहा जिस्मों जां। आदमी मुझको तो मज़दूर नज़र आता है। आज कल लख्ते जिगर को ये
Read Moreमन में भरा एक सुंदर सपना सा लेकर अरमान देश में हो खुशहाली एकता ऐसा हो अपना हिंदुस्तान. जात-पात धर्म
Read Moreछाया हुआ अपनों में मिला ,भक्ति विभोर उत्सव छठी भुला दिखा हर मनवा खोज, ढूढे दिखा संचालिका सूरज दिखे चाहत
Read Moreमैं नारी हूँ माँ,अम्माँ, जननी,मैया कहते मुझको बन ममतामयी चाह पद निभाना हैं सब मुझको। नवरात्रों में पुजा होती, कंजक
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