ग़ज़ल
गम का अम्बार लिए बैठा हूँ लुटा दरबार लिए बैठा हूँ नाव अब पार लगेगी कैसे टूटी पतवार लिए बैठा
Read Moreमीठे सुर में गाकर कोयल, क्यों तुम समय गँवाती हो? कौन सुनेगा सरगम का सुर, किसको गीत सुनाती हो? बाज
Read Moreजब गरमी की ऋतु आती है! लू तन-मन को झुलसाती है!! तब आता तरबूज सुहाना! ठण्डक देता इसको खाना!! यह
Read Moreदोहागीत — मतलब की है दोस्ती, मतलब का है प्यार। मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।। दुनियाभर में प्यार
Read Moreजगदम्बा के रूप में, रहती है हर ठाँव। माँ के आँचल में सदा, होती सुख की छाँव।१। ममता का जिसकी
Read Moreघिर गये बादल गगन में, चल पड़ी पुरवा पवन। पा सुधा की बूँद को, खिलने लगा सूखा चमन।। गाँववासी रोपने
Read More