चाह नहीं तुमसे कुछ पाऊँ
चाह नहीं तुमसे कुछ पाऊँ। चाह रही, तुमको सुन पाऊँ।। नासमझी में ठुकराया था। अहम अधिक ही गदराया था। अपनी
Read Moreचाह नहीं तुमसे कुछ पाऊँ। चाह रही, तुमको सुन पाऊँ।। नासमझी में ठुकराया था। अहम अधिक ही गदराया था। अपनी
Read Moreजितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है। शहीद होता सीमा पर सैनिक, माँ! का सपूत कहलाता है।
Read Moreनारी नर की चिर आकर्षण, नारी प्रेम की डोरी है। नारी सृष्टि का केन्द्र बिन्दु है, काली हो या गोरी
Read Moreकाश! लौट आते वे दिन। तुम चाहती थीं, मुझे कितना? हर पल-क्षण संग साथ रहने की, व्याकुलता थी, तुम्हारे रोम-रोम
Read Moreतेरे बिन, यह जग है अधूरा, तेरे बिन, मैं नहीं हूँ पूरा। तेरे बिन, ये जीवन नीरस, तू ही तो
Read Moreसाथ भले ही ना रह पाये। किन्तु साथ के गाने गाये। माया तजकर सन्त कहें जो, महफिल में, नारी ही
Read Moreधन संपदा बहुत कमाई। सोचो लाॅरी कब थी गाई? प्रेम भाव है, कहाँ खो गया? हावी, पेशेवर चतुराई। स्पद्र्धा के
Read Moreकैसा प्यार, नहीं हैं समझे, माँगों का खुला पिटारा है। नारी की माँगो के आगे, नर सदैव ही हारा है।।
Read Moreसबसे अनूठा सबसे प्यारा, नर-नारी का संगम है। कोई देश हो, कोई भाषा, देखो दृश्य विहंगम है।। इक-दूजे के लिए
Read Moreसच में से विश्वास निकलता, नर-नारी से अलग न होता। नर-नारी मिल पूरण होते, सच्चा प्रेम जब उरों में सोता।
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