जिनको अपना, समझ रहा था
सब की खातिर, जीकर देखा, खुद की खातिर जीना होगा। जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना होगा।।
Read Moreसब की खातिर, जीकर देखा, खुद की खातिर जीना होगा। जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना होगा।।
Read Moreसच की राह पर चलने का, संकल्प लेकर, चाहा था, एक साथी। चाहा, खोजा, मनाया, प्रेम किया, अपने आपको, लुटाया।
Read Moreइक-दूजे से शेयर करके, परिवार की गाड़ी चलती है। नर-नारी के एक होने से, सृष्टि जन्मती पलती है।। सहयोग समन्वय
Read Moreआज सीख वह देता है। आखिर वह मेरा बेटा है।। उसके जन्म से बाप बना। खुद को भूला, ताप बना।
Read Moreअसफलता संग व्यथा रही। मेरे जीवन की कथा रही।। पीड़ा से पीड़ित था बचपन। भय से भयभीत था, छुटपन। किशोर
Read Moreकर्म के पथिक, सच है साथी, और कोई दरकार नहीं है। अलग राह की राही हो तुम, जाओ हमें सरोकार
Read Moreसाथ के सपने अपने भी थे, साकार कभी भी हो न सके। पीड़ाओं में, हँसना पड़ता, साथ किसी के, रो
Read Moreएक समय था, जब मैं चाहता था, एकान्त। तब कुछ पढ़ने की, कुछ बनने की, किसी को पढ़ाकर, कुछ बनाने
Read Moreकर्म, कर्म, कर्म! कर्म जीवन का मर्म। सक्रियता ही, जीवन की निशानी है। इच्छाएँ, कामनाएँ, बाधाएँ, पीड़ाएँ, आस्थाएँ और भावनाएँ,
Read Moreईर्ष्या, द्वेष, नफरत है दिल में, किंतु, प्रेम के गाने गाते। सबके विकास की बातें करते, आत्म विकास नहीं कर
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