गीत/नवगीत

जिनको अपना, समझ रहा था

सब की खातिर, जीकर देखा, खुद की खातिर जीना होगा।
जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना  होगा।।

परिवर्तन का, दंभ भरा था।
संवेदना का,  दर्द हरा था।
कदम-कदम, ठोकर खाकर भी,
नहीं कभी, संघर्ष मरा था।
अपेक्षा सभी की, पूरी न होतीं, सब कुछ कर, कमीना होगा।
जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना  होगा।।

लीक से हटकर, चलता है जो।
समाज का कंटक बनता है वो।
उपलब्धि कितनी भी पा ले,
अंत में अकेला, मरता है वो।
करनी नहीं, किसी से आशा, बहाना खुद ही, पसीना होगा।
जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना  होगा।।

अकेले, फिर से बढ़ना होगा।
थकान मिटा, फिर चढ़ना होगा।
निराश मिटा, जिंदा दिल बन,
कर्म का पाठ, फिर पढ़ना होगा।
चिंता छोड़, चिंतन भी तज तू, कर्म ही तेरी  हसीना होगा।
जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना  होगा।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)