Author: डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

धर्म-संस्कृति-अध्यात्मशिक्षा एवं व्यवसाय

विद्यार्थी व अध्यापक के लिए पारस्परिक आवश्यकता व संबन्ध

शिक्षा, शिक्षार्थी व शिक्षक मिलकर शिक्षालय का गठन करते हैं। शिक्षा का महत्व व शिक्षालयों की आवश्यकता प्रत्येक युग में

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सामाजिक

ज्ञान व सफलता प्राप्ति का एकमात्र मार्ग- एकाग्रता

मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु है। वह ज्ञान पिपासू है। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि वह ज्ञान-पिपासू

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लेखशिक्षा एवं व्यवसाय

स्वामी विवेकानन्द से अनुप्रेरित- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

शिक्षा का सार्वकालिक महत्व है। किसी भी युग में शिक्षा के महत्व को नजरअन्दाज नहीं किया गया। शिक्षा के महत्व

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