मैं वचनों पर अड़ा हुआ हूँ
परिस्थितियों की दासी बनीं तुम, मैं तो पथ पर खड़ा हुआ हूँ। तुम वायदे से, मुकरी मौन हो, मैं वचनों
Read Moreपरिस्थितियों की दासी बनीं तुम, मैं तो पथ पर खड़ा हुआ हूँ। तुम वायदे से, मुकरी मौन हो, मैं वचनों
Read Moreभले ही आगे बढ़ रहा हूँ ,किन्तु मुख मोड़ा नहीं है। दूर तो मैं आ गया हूँ , पर तुम्हें
Read Moreआकर्षण का समय है बीता, विशुद्ध प्रेम की वेला है। संबंधों का जाल नहीं ये, दिल से दिल का मेला
Read Moreसाथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे। पथिक हैं हम, पथ ही साथी, पथ का साथ निभाएंगे।।
Read Moreकण्टक पथ के पथिक हैं हम, खतरों से अठखेली है। सभी को हम हैं, मित्र मानते, सभी को माने सहेली
Read Moreसबके सुख की बातें करते, लेकिन दुःख ही बाँट रहे हो। देख रहे हो, सबकी कमियाँ, अपने को ना आँक
Read Moreबाहर से ही नहीं, सखी तू, अन्दर से भी काली है। पापों की तू रचना काली, कभी न बने घरवाली
Read Moreअधर मंद, मुस्कान विराजे। वक्षों पर काले, केश हैं साजे। नयनों में है, प्यास प्रेम की, कामना नयन, पलक हैं
Read Moreतू ही अर्धांगिनी नहीं है मेरी, मैं भी अर्धांग तेरा हूँ। तू दिल का राजा, कहती, रानी, मैं तेरा चेरा
Read Moreप्रेम की चाहत, सबको रहती, नर हो, या फिर नारी है। नर, नारी को, प्यारा है तो, नारी, नर को
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