गजल
गुनाह किसी और की सजा क्यूँ मुझे मिले रिश्तों की बात पर जीती बाजी हार चले जिनके घर बने है
Read Moreमेरी माँ मर गई है,उसे शमशान तक सजा-धजाकर ले जाने की तो सामर्थ्य नहीं है मुझमें,आखिर क्या करूँ..? जो इस
Read Moreअरसे बाद गाँव की गलियों में कदम रखते ही बच्चे ,बुढ़े सब उसे टकटकी निगाहों से देख रहे थे अरे!
Read Moreरुपा की डिलिवरी के समय भी काफी दिक्कतें आई थी…और अब तो उसे अपने बच्चे के लिए हमेशा ही साथ
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