स्वार्थ और लालच के युग में, सदव्यवहार कहाँ मिलता है
स्वार्थ और लालच के युग में, सदव्यवहार कहाँ मिलता है। भोगवाद के चले दौर में, सच्चा प्यार कहाँ मिलता है।।
Read Moreस्वार्थ और लालच के युग में, सदव्यवहार कहाँ मिलता है। भोगवाद के चले दौर में, सच्चा प्यार कहाँ मिलता है।।
Read Moreतुम्हारे प्यार का शुभकामनाओं का असर है ये सलामत हूँ तुम्हारी ही दुआओं का असर है ये कली मुस्का रही
Read Moreतुम्हें क्या बताऊँ मैं क्या क्या है बेटी, मेरे दिल की धड़कन है अरमां है बेटी। कहूँ और इससे ज़ियादा
Read Moreसंवैधानिक दायित्वों को गिरवी रखने वाले लोग उजले कपड़ों में देखें हैं हमने मन के काले लोग खूब अदाकारी है
Read Moreकाश ये आता समझ हर आदमी को रंजिशें देती नहीं खुशियाँ किसी को झूठ की हमदर्दियाँ डँसने लगी हैं नाग
Read Moreपर्वत के पीछे हुआ, ज्यों ज्यों अम्बर लाल। पर्वत चाँदी हो गये, बादल हुए गुलाल।। भोर सुन्दरी आ गयी, धर
Read Moreहोट पर मुस्कान चेहरे पर खुशी अच्छी लगी हो रही है आप में जो तब्दिली अच्छी लगी दिख रहा है
Read Moreलोभ द्वेष का नित बढ़ता तम, पथ से कदम नही भटका दे। इसीलिये अपने अंतस का, दीप जलाना सीख रहा
Read Moreएक गलत फ़हमी जीवन में मंज़र कैसा दे जाती है पछतावा आँसू तन्हाई जाने क्या क्या दे जाती है महफिल
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