आपका आशीष मुझको मिल रहा है
आपका आशीष मुझको मिल रहा है दौर लेखन का तभी तो चल रहा है जानता हूँ आप ही का है
Read Moreआपका आशीष मुझको मिल रहा है दौर लेखन का तभी तो चल रहा है जानता हूँ आप ही का है
Read Moreटूट रहे है मानवता से, पल पल मानवता के नाते। जीवन पल पल बीत रहा है, आँसू पीते और मुस्काते॥
Read Moreकिरणों से होने लगा, सिन्दूरी आकाश। तम का निश्चित जानिये, होना सकल विनाश॥ पंछी चहचाने लगे, कलरव है चहुँ ओर।
Read Moreलाख होगीं कोशिशें ईमान को मत बेचना आदमीयत की यही पहचान को मत बेचना थालियों में आपकी रूखे निबाले ही
Read Moreदिन पलता ढलता रहता है, काल चक्र चलता रहता है। कभी अँधेरे कभी उजाले, खेल यही चलता रहता है॥ चट्टानों
Read Moreदर्द सहकर मुस्कुराना पडता है ये सफर यूँ ही बिताना पडता है सामने किस्मत के तो हर हाल में हर
Read Moreटुकडे कागज के हुए, देखो सारे नोट काले धन पर हो गयी,सचमुच गहरी चोट सचमुच गहरी चोट, मची है मारा
Read Moreजीवन के कोरे काग़ज पर कोई गीत ग़ज़ल लिखता हूँ। कम होती साँसे लिखता हूँ बीत रहा पल पल लिखता
Read Moreहमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगानी की ज़रूरत है। रखे पहचान जो कायम निशानी की ज़रूरत है॥ कभी सर्दी कभी गर्मी कभी
Read Moreसात जनम तक साथ निभाने का वादा क्यूँ तोड गये। जीवन के अन्जान सफ़र में साथ भला क्यूँ छोड गये॥
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