मृत्यु का मर्म और मोक्ष का मेला
बोल उठे बाबा बागेश्वर,“मृत्यु है मृगमरीचिका भर।शरीर छूटे, आत्मा हँसे,मोक्ष वही जो भय से न डरे।” धूप थी, भीड़ थी,
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Read Moreआजकल लोग निजी झगड़ों और रिश्तों की परेशानियों को सोशल मीडिया पर लाइव आकर सार्वजनिक करने लगे हैं, जहां आधी-अधूरी
Read Moreजहाँ पठन-पाठन की बात थी,वहाँ चुप्पी की बारात थी।कक्षा में ना विचार बचे,बस ‘आदेशों’ की सौगात थी। दीवारों पर नहीं
Read Moreवर्तमान में, उच्च शिक्षा प्रणाली उद्योग की तेजी से बदलती आवश्यकताओं से मेल नहीं खाती, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश स्नातक रोजगार
Read Moreफूल चढ़े हर मोड़ पर, भाषण की झंकार।बाबा तेरे नाम पर, सत्ता करे सवार॥ मंच सजे, माला पड़े, भक्तों का
Read Moreजलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) केवल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत में सत्ता और लोकतंत्र के बीच
Read Moreक्यों जलियाँ की चीख सुन, सत्ता है अब मौन?लाशों से ना सीख ली, अब समझाये कौन॥ डायर केवल नाम था,
Read Moreपदक नहीं मिला, पर ईनाम मिल गया — क्या यह नैतिकता है? चार करोड़ रुपये — एक बड़ी राशि है।
Read Moreशूद्र अछूत कहे जिन्हें, जीवन भर लाचार।फूले ने दी सीख तो, खोला ज्ञान-द्वार॥ यज्ञ-जपों की आड़ में, होता रहा प्रपंच।फूले
Read Moreभारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार आज निजी संस्थानों के लिए मुनाफे का जरिया बन चुके हैं। प्राइवेट
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