पुराने दिनों की यादें…
याद है सड़क पर पैदल चलना अपनी ही छाँव को देखकर इतराना कभी कार के शीशों पर झांककर बालों को
Read Moreयाद है सड़क पर पैदल चलना अपनी ही छाँव को देखकर इतराना कभी कार के शीशों पर झांककर बालों को
Read Moreवो पुर्जे जो कागज़ के हैं भीग गए किसी की याद के टूटे किस्से थे वो मेरे दिल के टुकड़े
Read Moreविपदा के बादल थे छाये, वानर सागर के तट आये विस्तृत सिन्धु था भव्य अपार, शत योजन जिसका विस्तार वानर
Read Moreबावली सी सांवली सी मोहिनी सी मूरति कर रही है श्याम के मन प्रेम रस आपूर्ति देवता भी देख हर्षित पुष्प
Read Moreधर्मप्रकाश जी के दो बेटे थे, आलोक और आदेश दोनों की शादी हो चुकी थी,धर्मप्रकाश जी और उनकी पत्नी सलिला
Read Moreआओ बुझती चिंगारी को फिर से हम अंगार बनाएं नए विचारो नयी शक्ति को आओ हम उदगार बनाएं नयी चेतना
Read Moreमाहौल में कुछ अजीबियत कुछ सूनापन है आज खाली खाली मेरे ही मन का दर्पण है हवाएं बह रही
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