दुर्योधन की जंघा पर द्रोपदी को बैठाते दुशासन
शकुनी के पासे फिर चल गए सहसा कर्ण ने द्रोपदी को वैश्या कहा दुशासन उसे घसीटता हुआ सभा में ले
Read Moreशकुनी के पासे फिर चल गए सहसा कर्ण ने द्रोपदी को वैश्या कहा दुशासन उसे घसीटता हुआ सभा में ले
Read Moreगीत नया गाऊँगा झुलसते जेठ मेँ सिकुडती पत्तियोँ सा मैँ ना मुरझाऊँगा, गीत नया गाऊँगा गीत नया गाऊँगा। पाषाण के
Read Moreमैं मन वीणा का तार, स्वरलिपियों की झंकार नित नूतन हूँ नवकार, प्राणों का प्राणाधार जल थल मरू आकाश में,
Read Moreमन करता है आज कलम से कोई मुक्तिगान लिखूं कोरे कागज़ के पटल पर जीवनरंग बखान लिखूं अपनी चेतनता लिए
Read Moreबागी बागी इसके तेवर क्रोध हुआ है मन का जेवर आँखों में भड़के है शोले और हृदय हैं आग के
Read Moreपत्थर पर कुछ लेख पुराने स्मृतियों के एक ठिकाने सांझ का सूरज जैसे ढलता खुद ही अपने आप को छलता
Read Moreलन्दन में कहीं संगीत समारोह हो रहा था, भारतीय गायक अपनी प्रतिभा से लोगों को मंत्रमुग्ध करने में लगे हुए
Read Moreहिन्द महासागर जिसके पग सदा निरंतर धोता है उज्जवल कीर्ति यशोगान जिसका पग पग पर होता है जिसके ह्रदय
Read More