कविता

**अहंब्रह्मास्मि**

मैं मन वीणा का तार,
स्वरलिपियों की झंकार
नित नूतन हूँ नवकार,
प्राणों का प्राणाधार
जल थल मरू आकाश में,
दिनकर के नए प्रकाश में
क्षण क्षण में मैं कण कण में मैं,
पथ पर अविरल हर रण में मैं
करुणा में करुणाकार कहो,
आकारों में साकार कहो
पथ के काँटों में शूल में भी,
बागों में हर क्षण फूल में भी
ज्योति में तो अंधियारे में,
नित मन के नव उजियारे में
नव अंकुर धरती की छाती पर,
मैं पनपा नित जीवन बनकर
मझधार कहो पतवार कहो,
मुझको जीवन संचार कहो
शक्ति साहस का दूजा नाम,
सकाम भी हूँ और हूँ निष्काम
कर्मो में ना कर्मो के फल में,
श्रोतों से फूटे नवजल में,
अंतर में ना अंतर्घट में
वंशी के स्वर वंशीवट में,
भाषाओँ में ना बोली में
रंगों में मैं रंगोली में,
चिंता में मैं चिंतन में मैं,
धरती के हूँ जन जन में मैं
प्राणों का बनकर रखवाला,
फिर अंतरतम की मैं ज्वाला
धधका हूँ नित ही क्रान्ति में,
हूँ गूँज रहा मैं शांति में
आओ आलिंगन पाओ मेरा,
मिलकर जयघोष गाओ मेरा!!

___सौरभ कुमार दुबे

सौरभ कुमार दुबे

सह सम्पादक- जय विजय!!! मैं, स्वयं का परिचय कैसे दूँ? संसार में स्वयं को जान लेना ही जीवन की सबसे बड़ी क्रांति है, किन्तु भौतिक जगत में मुझे सौरभ कुमार दुबे के नाम से जाना जाता है, कवितायें लिखता हूँ, बचपन की खट्टी मीठी यादों के साथ शब्दों का सफ़र शुरू हुआ जो अबतक निरंतर जारी है, भावना के आँचल में संवेदना की ठंडी हवाओं के बीच शब्दों के पंखों को समेटे से कविता के घोसले में रहना मेरे लिए स्वार्गिक आनंद है, जय विजय पत्रिका वह घरौंदा है जिसने मुझ जैसे चूजे को एक आयाम दिया, लोगों से जुड़ने का, जीवन को और गहराई से समझने का, न केवल साहित्य बल्कि जीवन के हर पहलु पर अपार कोष है जय विजय पत्रिका! मैं एल एल बी का छात्र हूँ, वक्ता हूँ, वाद विवाद प्रतियोगिताओं में स्वयम को परख चुका हूँ, राजनीति विज्ञान की भी पढाई कर रहा हूँ, इसके अतिरिक्त योग पर शोध कर एक "सरल योग दिनचर्या" ई बुक का विमोचन करवा चुका हूँ, साथ ही साथ मेरा ई बुक कविता संग्रह "कांपते अक्षर" भी वर्ष २०१३ में आ चुका है! इसके अतिरिक्त एक शून्य हूँ, शून्य के ही ध्यान में लगा हुआ, रमा हुआ और जीवन के अनुभवों को शब्दों में समेटने का साहस करता मैं... सौरभ कुमार!

One thought on “**अहंब्रह्मास्मि**

  • विजय कुमार सिंघल

    कविता अच्छी है. पर इसकी भारी-भरकम शब्दावली और भाव कुछ समझ में नहीं आये. इसमें कुछ कुछ रहस्यात्मकता है.

Comments are closed.