दोहों में गुरू
प्रखर रूप मन भा रहा,दिव्य और अभिराम। हे ! गुरुवर तुम हो सदा,लिए विविध आयाम।। गुरुवर तुम हो चेतना,हो विवेक-अवतार।
Read Moreप्रखर रूप मन भा रहा,दिव्य और अभिराम। हे ! गुरुवर तुम हो सदा,लिए विविध आयाम।। गुरुवर तुम हो चेतना,हो विवेक-अवतार।
Read Moreनव ख़बरों को साथ ले, आता है जो रोज़। सुबह उसी अख़बार की, हम करते हैं खोज।। दुनिया भर के
Read Moreजीवन को गतिशील बनाकर, बाधाओं से लड़ना होगा। मन को देकर नवल ताज़गी, अवसादों से भिड़ना होगा।। निज सूरज को
Read More(1) भारत माँ का लाल हूँ, दे सकता हूँ जान। करता हूँ मन-प्राण से, मैं इसका यशगान। आर्यभूमि जगमग धरा,
Read Moreजीवन है विपरीत अब, सब कुछ है प्रतिकूल। फूलों की बातें नहीं, चुभते हैं नित शूल।। रोज़ विहँसता झूठ अब,
Read Moreमंडला–अनेक श्रेष्ठ कृतियों के सृजक व रेडियो, टीवी,मंचों के प्रस्तोता,सुपरिचित साहित्यकार व इतिहास-प्राध्यापक (प्राचार्य-शासकीय गर्ल्स डिग्री कॉलेज) प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे
Read Moreउलझन को सुलझाइए,लेकर सुलझे भाव। जिसके सँग है सादगी,रखता प्रखर प्रभाव।। उलझन है मन की दशा,नहीं समस्या मान। यह है
Read Moreज़िद पर आओ,तभी विजय है,नित उजियार वरो। करना है जो,कर ही डालो,प्रिय तुम लक्ष्य वरो।। साहस लेकर,संग आत्मबल बढ़ना ही
Read Moreश्रम करने वालों के आगे,गहन तिमिर हारा है। श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।। खेत और खलिहानों में
Read More