बेटी पर कुंडलिया
(1) करना मत तुम भेद अब,बेटा-बेटी एक। बेटी प्रति यदि हेयता,वह बंदा नहिं नेक।। वह बंदा नहिं नेक,करे दुर्गुण को
Read More(1) करना मत तुम भेद अब,बेटा-बेटी एक। बेटी प्रति यदि हेयता,वह बंदा नहिं नेक।। वह बंदा नहिं नेक,करे दुर्गुण को
Read Moreनारी का घटता आँचल तो,है दुख भरी कहानी। नारी का अब देख रवैया,है आँखों में पानी।। शील,सत्व को धारण करके,नारी
Read More“बेटा सोमू! तुमने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली, रिजल्ट भी आ गया।अब तुम ज़ल्दी से कोई काम करने लग जाओ,
Read Moreधूम मचाती जल बरसाती, वर्षा रानी आई । आज मगन मन वृक्ष ले रहे,झूम-झूम अँगड़ाई।। वसुधा की सब प्यास बुझ
Read Moreतप से हरदम बल मिले,मन हो जाता शांत। बिखरे नित नव चेतना,रहे नहीं मन क्लांत।। तप में होती दिव्यता,मिलता है
Read Moreभायी गुरुवर दिव्यता,तुम तो हो भगवान। तुमने दिया विवेक तो,हुआ सत्य का भान। हुआ सत्य का भान,नहीं तो मैं मिट
Read Moreमंडला–नवोदय साहित्यिक मंच पर ऑनलाइन होकर सुप्रसिद्ध कवि/लेखक व शासकीय डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रो.(डा)शरद नारायण खरे जी ने नवोदय
Read Moreपिता कह रहा है सुनो,उसके दिल की बात। जीवन पितु का फर्ज़ है,मत समझो सौगात।। संतति के प्रति कर्म कर,रचता
Read Moreनहीं एक दिन मात्र बस, हर दिन माँ के नाम। माँ से ही जीवन मिला,माँ से सब अभिराम।। वसुधा-सी करुणामयी,माँ
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