घर-घर में तिरंगा लहराया
मातृभूमि की वह कठिन घड़ी थी, गुलामी की बेडी जकड़ी पड़ी थी, सह विषम कष्ट सर्वस्व बलिदान दिए, हंसते हंसते
Read Moreमातृभूमि की वह कठिन घड़ी थी, गुलामी की बेडी जकड़ी पड़ी थी, सह विषम कष्ट सर्वस्व बलिदान दिए, हंसते हंसते
Read Moreवर्षा ऋतु की आई बहार, प्रकृति ने किया अद्भुत श्रंगार अवनि ने ओढ़ी धानी चुनरी, पहना इन्द्रधनुष का हार बूँदों
Read Moreजीवन तो एक है मायने सबके लिए जुदा-जुदा है हैं किसी को प्रिय श्री राम तो किसी को खुदा
Read Moreअगर चाँद न होता नभ में बच्चों का प्यारा चन्दा मामा और चन्द्र खिलौना बनता कौन घंटों लुका छिपी कर
Read Moreतुम मुझमें हो मैं तुझमें हूँ तुम जगत का गौरव हो तो मैं सृष्टि की गरिमा हूँ तुम हो सूरज,
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