कविता

समय

आओ सब मिल खेले कूदें
और मुस्कुरायें
एक बार जो गया समय
फिर हाथ ना आए
चलना ही जीवन है
हमको पाठ पढाये
समय का पहिया
तीव्र गति से चलता जाए ।।

समय की शक्ति के आगे
ना चले किसी की
समय हो यदि अनुकूल
तभी तक सारी मस्ती
राजा हो या रंक
सभी इस के गुलाम हैं
समय की ताकत के सम्मुख
करते प्रणाम हैं
धरती मां भी प्रतिक्षण
सूर्य की परिक्रमा लगाए
समय का पहिया
तीव्र गति से चलता जाए ।।

अच्छा समय है तो
मिट्टी भी सोना बन जाए
वरना पास का धन भी
कभी काम ना आए
ग्रह और नक्षत्र भी तो
समय के अधीन हैं
समय यदि ना दे साथ
तो दुनिया अर्थहीन है
फसलें भी समय
आने पर लह-लहाऐं
समय का पहिया
तीव्र गति से चलता जाए ।।

सांसों की टिक – टिक से
है यह सारा खेला
समय जो अच्छा
तब तक है दुनिया का मेला
समय के मन में क्या है
कोई जान ना पाए
बनता खेल बिगड़ता
बुरा समय जो आए
बाद में यही समय
फिर अच्छे दिन दिखलाएं
समय का पहिया
तीव्र गति से चलता जाए ।।

भारत ने भी समय के साथ
प्रगति की भारी
समय-समय पर दिखलाई
अपनी ताकत न्यारी
कई बार लेकिन
हम समय से पीछे रह गए
सोने की चिड़िया होकर भी
सोना गिरवी कर गए
सही वक्त जब आया
सोना वापस लाए
समय का पहिया
तीव्र गति से चलता जाए
समय का पहिया
तीव्र गति से चलता जाए ।।

— सुधा अग्रवाल

सुधा अग्रवाल

गृहिणी, पलावा, मुम्बई