भ्रमित होने के लिए
जन्माष्टमी हर साल आती है एक दिन के लिए कुछ लोगों को भरमाती है, फिर चली जाती है अगले साल
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Read Moreहे कृष्ण, नटखट कन्हैया अब बहुत हो चुका माखन चुराना, गैय्या चराना, बाल सुलभ चंचलता दिखाना गोपियों संग करना। अब
Read Moreशिक्षक और शिक्षा का चोली दामन का रिश्ता है, एक दूजे के बिना दोनों अधूरें है कभी नहीं पूरे हैं।
Read Moreसमय का फेर देखिए अहमियत का गिरते मूल्यों को गहराई में उतरकर देखिये। आज हमें अपनों की भी अहमियत कहाँ
Read Moreमन वचन कर्म पहले अपने शुद्व कीजिए, माता पिता की पहले स्तुति तो कीजिये। निर्बल, असहाय, गरीब के कुछ काम
Read Moreईश्वर का आभार मानों खुद को पहचानों, जीवन सिर्फ़ समस्याओं में उलझ रोने के लिए नहीं मिला है। कम से
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