कविता

हँसो हँसाओ

ईश्वर का आभार मानों
खुद को पहचानों,
जीवन सिर्फ़ समस्याओं में उलझ
रोने के लिए नहीं मिला है।
कम से जिंदगी का लुत्फ़ भी उठाओ
खुद भी हँसो औरों को भी हँसाओ
हँसना ईश्वर का एक वरदान है,
जो सिर्फ़ मानवोंं को ही मिला है
फिर हर समय रोने से भला
आखिर क्या होने वाला है?
मस्त रहो, स्वच्छंद रहो
ईश्वर पर भरोसा रखो
खुद खुश रहो
औरों के भी खुश रहने का
बस तुम माध्यम तो बनो।
सच मानों बड़ी से बड़ी समस्या
छोटी नजर आयेगी,
आपकी नीरस जिंदगी
सूकून शान्ति का लुत्फ़ उठायेगी।
बस आप एक कदम आगे तो बढ़ो
दुनियां भी आपकी ओर
आगे बढ़ती नजर आयेगी,
खुशियों की सौगात से यारों
आपकी झोली भर जायेगी।
बस जरा एक बार हँसकर तो देखो
आपके साथ हँसने वालों की
भीड़ लग जायेगी।
हँसो और हँसाओ का सूत्र
सारे जहाँ में फैलाओ,
फिर खुद ही देखिये
हँसते हँसाते जिंदगी
यूँ ही प्यार से गुजर जायेगा
जिंदगी में कमी, नाकामी का भाव
सदा के लिए मिट जायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921