कविता

स्तुति चारों धाम

मन वचन कर्म पहले
अपने शुद्व कीजिए,
माता पिता की पहले
स्तुति तो कीजिये।
निर्बल, असहाय, गरीब के
कुछ काम आइए,
फिर चारों धाम की स्तुति का
मन में विचार कीजिये।
इंसान हैं तो इंसानियत के
कुछ काम कीजिये,
मानवता की भलाई का
सूत्रपात कीजिये।
चारों धाम की स्तुति मात्र से
कुछ भी भला नहीं होगा,
ईश्वर, अल्लाह, गाड का
अपमान  मत कीजिये।
चारों धाम की यात्रा का
लाभ घर बैठे उठाइए,
मानव हैं मानवता का धर्म
पहले अपना निभाइये।
चारों धाम का फल
निश्चित ही पाइए,
बस इंसान बन जाइये
मुक्ति का मार्ग पाइए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921