कविता
तेरे सुगंधित सुधियों में प्रतिपल खोया रहे मन और रहे हर क्षण मेरा महका-महका जब मुंदती हूँ पलके तेरा ही
Read Moreक्यों बचपन सुहाना बीत गया वो हँसना खिलखिलाकर और रोना चिल्लाकर नही परवाह किसी बात की क्यों वो ज़माना रूठ
Read Moreकैसे व्यक्त करूँ मैं अपने हृदय की व्यथा। किंचितमात्र भी मुझको ना सुखों आभास हुआ। नियति के हाथों मेरा कैसा
Read Moreदेखा है जितनी बार तुम्हे, हर बार नए से लगते हो, छलक-छलक जाए आँखों से, प्रेम पात्र भरे से लगते
Read Moreहर गीत और कविता तुम्हारे नाम लिखेंगे जो कुदरत ने दिया वो तुम्हें इनाम लिखेंगे। ज्ञान हमें छंद-बंधों का नही
Read Moreमेरी मंज़िल भी तुम,मेरी राह भी तुम सफ़र भी हो तुम्ही,हमराह भी तुम हर ख़ुशी मेरी तुमसे ही है
Read Moreकितनी राहत है चाहत में तेरे तुम्हें याद करने से ही हर ग़म दूर हो जाता है दर्द काफ़ूर हो
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