मेरी मंज़िल भी तुम
मेरी मंज़िल भी तुम,मेरी राह भी तुम
सफ़र भी हो तुम्ही,हमराह भी तुम
हर ख़ुशी मेरी तुमसे ही है क़ायम
मेरी हँसी भी तुम,मेरा आह भी तुम
तुम जो मिले हो तो खुद को है पाया
मेरी जीत भी तुम,मेरी हार भी तुम
तुम्हें हो ना यकीन चाहें मेरी बातों का
मेरी हसरत भी तुम,मेरी चाह भी तुम
सोती जागती आँखों से जो देखूं पल पल
मेरा ख़्वाब भी तुम,मेरी निगाह भी तुम
सुख की बारिश हो चाहें दुःख के बादल
मेरा छाव भी तुम,मेरी पनाह भी तुम।
सुख की बारिश हो चाहें दुःख के बादल
मेरा छाव भी तुम,मेरी पनाह भी तुम। कविता अछि लगी .