गीतिका/ग़ज़ल

मेरी मंज़िल भी तुम

मेरी मंज़िल भी तुम,मेरी राह भी तुम

सफ़र भी हो तुम्ही,हमराह भी तुम

 

हर ख़ुशी मेरी तुमसे ही है क़ायम

मेरी हँसी भी तुम,मेरा आह भी तुम

 

तुम जो मिले हो तो खुद को है पाया

मेरी जीत भी तुम,मेरी हार भी तुम

 

तुम्हें हो ना यकीन चाहें मेरी बातों का

मेरी हसरत भी तुम,मेरी चाह भी तुम

 

सोती जागती आँखों से जो देखूं पल पल

मेरा ख़्वाब भी तुम,मेरी निगाह भी तुम

 

सुख की बारिश हो चाहें दुःख के बादल

मेरा छाव भी तुम,मेरी पनाह भी तुम।

सुमन शर्मा

नाम-सुमन शर्मा पता-554/1602,गली न0-8 पवनपुरी,आलमबाग, लखनऊ उत्तर प्रदेश। पिन न0-226005 सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें- शब्दगंगा, शब्द अनुराग सम्मान - शब्द गंगा सम्मान काव्य गौरव सम्मान Email- rajuraman99@gmail.com

One thought on “मेरी मंज़िल भी तुम

  • सुख की बारिश हो चाहें दुःख के बादल

    मेरा छाव भी तुम,मेरी पनाह भी तुम। कविता अछि लगी .

Comments are closed.