हाइकु/सेदोका त्रिलोक सिंह ठकुरेला 21/06/201521/06/2015 कुछ हाइकु कटे जब से हरे भरे जंगल उगीं बाधाएँ कोसते रहे समूची सभ्यता को बेचारे भ्रूण दौड़ाती रही आशाओं की कस्तूरी Read More
कुण्डली/छंद त्रिलोक सिंह ठकुरेला 19/06/201519/06/2015 ठकुरेला की कुण्डलियाँ जिसने झेली दासता , उसको ही पहचान । कितनी पीड़ा झेलकर , कटते हैं दिनमान ।। कटते हैं दिनमान , Read More