मूरखानंद
ये मूरख जग में नादान हैकुछ् भी नहीं जिसे ज्ञान हैबात पते की ना कभी करताबात बात में सबसे लड़ता
Read Moreशीशे की हवेली मेंपत्थर की रखवाली हैजालिम ही लुटेरा हैजालिम ही सिपाही हैकिससे करुँ फरियाद सनममतलब के सब रिस्ते हैंस्वार्थ
Read Moreबरगद पीपल ने एक सभा बुलाईअपनी वंशज की व्याथी सुनाईवन दुश्मन के खिलाफ छेड़ा अभियानतब लौटेगा जंगल का नया विहान
Read Moreतन्हा है मन तन्हा है जीवनतन्हा है अपना घर द्वारतन्हाई से लवरेज है यौवनतन्हा है मेरा सुना
Read Moreउफ! ये पुस की जालिम ठंडएक माह दूर खड़ी है बसंतबाहर छाया है घना कोहराजीव
Read Moreसारा पानी चूस रहे हो क्यूँ नदी समन्दर लूट रहे होप्रकृति संग कर रहे अत्याचार बंद करो प्रकृति पे वार
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