आतंक
आंतंक का कोई जात नहीं आतंक से कोई संवाद नही जहाँ भी मिल जाये आतंकी कर दो काम तमाम वहीं
Read Moreसच्चाई की इस नगरी में सच्चाई जग से रूठ गया झूठे का अब बोलबाला हे सच का आईना टूट गया
Read Moreमाँ तेरी ऑचल में है शीतल छाया माँ तेरी आँचल में है ममता व माया माँ तेरी चरणों में है
Read Moreसूरज चला अस्ताचल की ओर आसमां पे छाया लाली की डोर चुपके से रजनी धरातल पे आई चारो ओर अंधियारी
Read Moreख्वाबों को पंख लग जाने दो सपनों में हमें खो जाने दो दिल एक दुजै के लिये धड़केगा बसंत में
Read Moreढल रहा है दिन का सूरज ढल रहा है उजाले की शान थक गया है आज का ये दिन ले
Read Moreहम तेरे शहर में आयेगें एक खानाबदोश की तरह तेरे गलियों से गुजरेंगें अनजान मुसाफिर की तरह दीवाना हूँ में
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