कविता

ख्वाबों को पंख लग जाने दो

ख्वाबों को पंख लग जाने दो
सपनों में हमें खो जाने दो
दिल एक दुजै के लिये धड़केगा
बसंत में कली को खिल जाने दो

आँचल को हवा में लहराने दो
बादल को नभ पे छा जाने दो
शबनम धरा पे उतर जायेगा
रजनी को जमीं पर आ जाने दो

पैरों में पायल को बँध जाने दो
घूंघरू को जरा छनक जाने दो
सरगम की धुन बहक जायेगा
मेरे संग कदम को बढ़ जाने दो

ऑखों में कजली को सज जाने दो
माथे पे बिन्दिया को चमक जाने दो
दिन का सुरज शरमा जायेगा तब
तुम्हारे नजदीक हमें आ जाने दो

दिनकर को अस्ताचल में जाने दो
भौंरा को पंखुड़ी में सो जाने दो
रातरानी चमन में महक जायेगी
जरा पुरवाई को बह जाने दो

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088