राजनीति

झारखंड पूर्व से अब तक,बढ़ते विकास के पथ पर

बात जब झारखंड की हो तो बिहार जरूर आता है क्योंकि झारखंड वो राज्य है जो बिहार से अलग होकर बना है।देश का 28 वां राज्य झारखंड 15 नवंबर 2000 (प्रथम स्थापना दिवस) को बना।झारखण्ड नाम पड़ने का  कारण यह हैं कि झार या फिर झाड़ का पर्याय वन से हैं और खंड का अर्थ टुकड़े से हैं।अर्थात वन का एक खंड या वन प्रदेश।इस राज्य के गठन के समय तत्कालीन देश के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी थे।24 जिलों वाला राज्य झारखंड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से यहां के खनिज और वन संपदा पर निर्भर हैं।1936 ईस्वी में बिहार और उड़ीसा अलग-अलग राज्य बने। दोनों राज्यों के अपने कुछ क्षेत्रीय भाषाएँ एवं संस्कृतियाँ थी।दोनो राज्य अपने विकास पथ पर गतिशील हो गए।परंतु एक समय ऐसा भी आया लोगो को लगने लगा कि बिहार के दक्षिणी हिस्से का विकास समुचित रूप से नहीं हो रहा हैं।धीरे-धीरे लोंगो में आक्रोश बढ़ते गया और यह आक्रोश दक्षिण का समुचित रूप से विकास  नहीं होने के कारण बिहार से अलग एक और राज्य झारखंड बनाने को आंदोलन का रुप ले लिया।हालांकि भारतीय हॉकी कप्तान एवं संविधान सभा के सदस्य जयपाल सिंह मुंडा ने सर्प्रथम झारखंड को अलग राज्य बनाने की बात रखी पर उड़ीसा से अलग होने के बाद जब बिहार के दक्षिणी भाग का विकास समुचित नही हुआ तब यह मामला और उग्र हुआ।जब जयपाल सिंह मुंडा ने इसे अलग राज्य बनाने के बात उठाई उस समय भारत अंग्रेजो की गुलामी से आजाद भी नहीं हुआ था।जयपाल सिंह की इस मांग को 1929 के साइमन कमीशन द्वारा खारिज कर दिया गया।पर यह मामला शांत नहीं हुआ।यह मामला आजादी के बाद भी जारी रहा। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया।झारखंड एक अलग राज्य बने यह बात लोगों के दिलो में बैठ गया था।नब्बे के दशक में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा द्वारा शिबू शोरेन के नेतृत्व में जनता का समर्थन लेकर एक जन आंदोलन किया गया।इस आंदोलन की बात पूरे देश में और संसद में गूंज उठी।भाजपा ने भी इस बात का समर्थन किया कि झारखंड को एक अलग राज्य बनाया जाना चाहिए। कई वर्षों के तपस्या के फलस्वरूप झारखंड का गठन हुआ।राष्ट्रपति के.आर.नारायणन ने 2000 में बिहार पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दे दी।तब यहां के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एवं प्रथम राज्यपाल प्रभात कुमार जी बने।15 नवंबर को शपथ लेने वाले मरांडी जी भारतीय जनता पार्टी के रामगढ़ से विधानसभा से विधायक चुने गए थे।शायद उन्होंने यह नहीं सोचा होगा की वे अपना पूरा कार्यकाल 5 वर्ष पूरा नहीं कर पाएंगे।वे अपने कार्यकाल के 3 वर्ष पूरा करते इसके पूर्व ही उन्हें 8 मार्च 2003 को अपने पद से हटना पड़ा और उनकी जगह अर्जुन मुंडा ने ले लिया।इन्हें भी लगभग 2 वर्ष बाद अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी एवं इनका स्थान झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन ने लिया।ऐसे ही झारखंड चलता रहा वर्ष 2009, 2010 एवं 2013 में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी स्थिति आयी एवं राष्ट्रपति शासन लागू भी किया गया। वर्तमान में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता पर आसीन है 20 वर्षों के शासनकाल में झारखंड की जनता ने सत्ता के गलियारों में बहुत कुछ देखा हैं।झारखण्ड में भाजपा से मुख्यमंत्री रघुवर दास ऐसे प्रथम मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने प्रथम बार अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया।
उद्योग, खाद्यान्न वाला राज्य झारखंड अकूत संपदा होने के बावजूद भी अत्यंत पिछड़ा था।इसकी दशा भी दयनीय थी।परंतु अगर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ओर नजर डाला जाए तो हमें 1831 का कोल विद्रोह सामने दिखता है।जिसमें मुंडा,भुइया समेत अनेक वर्गों के लोग शामिल थे।इस विद्रोह का नेतृत्व बुधु भगत,जोआ भगत एवं मदारा महतो ने किया।इस विद्रोह का केंद्र रांची,सिंहभूम एवं पलामू रहा।हमे तिलक मांझी विद्रोह एवं चेरो विद्रोह भी नहीं भूलना चाहिए।इन सारी बातों से हमे यह ज्ञात होता हैं कि झारखण्ड ने 1857 के प्रथम संग्राम के 26 वर्ष पूर्व ही कोल विद्रोह से अंग्रेजो का विरोध करना शुरू कर दिया था।बिरसा मुंडा ने “अंग्रेजों अपनो देश वापस जाओ” का नारा दिया एवं महान मुंडा उलगुलान का नेतृत्व किया।ब्रिटिश सत्ता का विरोध करने वाले बिरसा मुंडा ने आर्थिक शोषण,सामाजिक विषमता का घोर  विरोध किया।उनके नेतृत्व में पूरे  झारखण्ड में एक जोश भर गया।इन्ही आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर झारखण्ड भारत का अठ्ठाइसवां राज्य बना।
झारखण्ड की राजधानी रांची हैं।रांची को अविभाजित बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी के नाम से जाना जाता था।जब पुर देश में गर्मी हुआ करता था यहां का मौसम सुहावना होता था परंतु बीते कुछ वर्षों में यहां के मौसम में बदलाव हुआ हैं।कारण यहाँ की हरियाली में कमी होना हैं।दिनों दिन यहां पहले की तुलना में गर्मियों में तापमान में वृद्धि दर्ज की जा रही हैं।इस पर खास ध्यान देने की आवश्यकता हैं।रांची झरनों के शहर के नाम से प्रसिद्ध हैं।झारखंड राज्य के प्रमुख शहरो में रांची एक आकर्षित पर्यटन स्थल भी हैं।रांची शहर का हटिया संग्रहालय,रांची हिल स्टेशन,टैगोर हिल, हुदरू फॉल्स,कांके डैम आदि प्रसिद्ध हैं।
झारखण्ड में देवी स्थल रजरप्पा भी बहुत प्रसिद्ध हैं। यहां देवी माँ छिन्नमास्तिका का प्रसिद्ध मंदिर है।कई लोग इसे महाभारकालीन तो कई लोग 5 हजार साल से भी पुराना बताते है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक बैद्यनाथ धाम इसी राज्य में हैं।यह ज्योतिर्लिंग देवघर में स्थित हैं।देवघर में अनेकों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने आते हैं।सावन के महीने में दर्शन एवं जल, पुष्प आदि अर्पित करने हेतु कई किलोमीटर तक भक्तों की लंबी कतार लग जाती हैं।श्रद्धालु बाबा वैद्यनाथ के दर्शन के अलावा नंदन पहाड़,सत्संग आश्रम भी घूमने जाते हैं।झारखंड में  पारसनाथ पहाड़ी जहां 24 जैन तीर्थकरो को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। पर्यटक घूमने आते हैं।झारखंड का धनबाद शहर जिसे  भारत की कोयला राजधानी के रूप में भी जाना हैं।कई लोग घूमने पहुँचते हैं।धनबाद के प्रमुख आकर्षण में डेमी, शक्ति मंदिर, मैथन डैम आदि शामिल हैं।झारखंड का बोकारो स्टील सिटी एक सुंदर स्थान हैं, यहां आने वाले पर्यटकों को सुकून और खुशी का एहसास होता हैं।इस स्थान को ‘द स्टील कैपिटल ऑफ़ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता हैं।बोकारो स्टील प्लांट आदि इसके प्रमुख आकर्षण हैं।नेतरहाट पर्यटन जहां का सनराइज और सनसेट पॉइंट का दीदार करने के लिए पर्यटक पहुँचते हैं।इस पर्यटन स्थल को छोटा नागपुर की रानी भी कहा जाता  हैं। इस राज्य का बेतला राष्ट्रीय उद्यान,दशम जलप्रपात,घाटशिला आदि घूमने लायक स्थल हैं।
झारखंड जब बिहार से अलग हुआ 54% गरीबी और पिछड़ेपन के साथ अलग हुआ था।20 वर्षो में झारखंड विकास के राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने की लगातार कोशिश कर रहा हैं।पहले से  गरीबी भी कम हुई हैं।प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि दर्ज की गई है।यह देश की पहली पेपरलेस विधानसभा वाला राज्य हैं। गरीबी घटना,प्रति व्यक्ति आय बढ़ना एक सुखद संदेश दे रहा हैं।
 — राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)

राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)

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