कविता

संकल्प

कामयाबी के बंद दरवाजे पर
जब मिहनत देता है। दस्तक
खुल जाता है सफलता का द्वार
सिर्फ मिहनत करना है हर बार

कामयाबी के बंद दरवाजे पर
संघर्ष बन जाता है जब हमसफर
मंजिल मिलना है तय हर बार
संघर्ष जब बन जाये  हfथयार

कामयाबी के बंद दरवाजे पर
जब इरादा की पड़ जाती है नजर
हर काम आसान हाे जाता   है
इन्सान को हर मुकाम मिल जाता है

कामयाबी के बंद दरवाजे पर
दृढ संकल्प होता है साथ अगर
रूठा नसीब भी जग जाता   है
मुश्किल डगर भी आसान हो जाता है

कामयाबी के बंद दरवाजे पर
हौसला का जब दीखता है मंजर
मन की चाह जब करवट लेता है
सागर भी राह रोक नहीं पाता है

कामयाबी के बंद दरवाजे पर
जब मिहनत का होता है असर
बंद ताला की चाबी हाथ आ जाता है
मंजिल सामने ही नजर आता है

उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088