रेत पे फिसलती राह
जब भी राहों पे मैं चलता हूँ अपनों का ही ताना सहता हूँ हिम्मत फिर भी मैं कहाँ हारा रेत
Read Moreजब भी राहों पे मैं चलता हूँ अपनों का ही ताना सहता हूँ हिम्मत फिर भी मैं कहाँ हारा रेत
Read Moreपूरा होगा अब अपना सब सपना खुशियों की चमन सा घर हो अपना आओ मोहब्बत को नजीर बनायें लैला
Read Moreरे दीपक तुँ तन मन से पल पल जल कर देना हर घर जन जन का उज्जवल तेरी त्याग कुर्बानी
Read Moreले रही है तन मन धरातल पे अंगड़ाई कितना मनमोहन बसंत ऋतु है आई चारों ओर गुलशन मे फूल सुहावन
Read Moreतिरंगा हमारी आन बान शान तिरंगे हिन्द की है एक पहचान जब जब आया गुलामी की दौर हम ने थामा
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