कविता

सच्चा प्रेम

पूरा होगा  अब अपना  सब सपना
खुशियों की चमन सा घर हो अपना
आओ मोहब्बत को नजीर    बनायें
लैला मंजनूं सा बन कर हम दिखायें

दो नदियों का जैसा हो मिलन
गंगा यमुना सा अपना हो संगम
हम दो हमारे भी दो का होगा नारा
छोटी सी परिबार सुख की हो धारा

ना कोई बंधन ना कोई हो तकरार
एक दुजै में गुम हो जाये   संसार
एक दुजै के लिये हम जी लेगें
सुख दुःख संग साथ  हम झेलेगें

ना कोई अभिमान ना कोई गुमान
जी लेगें गले मिल कर स्वाभिमान
सपना सच्चा प्रेम का हो  हमारा
एक दुजै का  होगा हर पल सहारा

प्रेम में जीयेगे प्रेम में मर  जायेगें
एक दुजै के बॉहों में  हम पायेगें
शिकवा शिकायत की ना हो दीवार
खुशियों से भरा होगा अपन संसार

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088